छत्तीसगढ़ बजट 2025 एक विश्लेषण –
*उद्योगपतियों व पूँजीपतियों के पक्ष आत्म समर्पित बजट।*
*बजट से सामाजिक आर्थिक विषमता बढ़ेगी, गरीब और अमीर के बीच खाई और अधिक बढ़ेगी।*
*पर्यावरण प्रदूषण पर बजट मौन है।*
*जल जंगल ज़मीन नदी तालाब जलाशयों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इस बजट में कोई विशेष स्थान नहीं*
*आम मेहनतकशों,ग़रीबों और कमजोर वर्गों से बहुत दूर है।*
*छत्तीसगढ़ राज्य की अपनी कोई जलनीति नहीं है।*
*कला संगीत नाटक साहित्य अकादमी पर कोई विशेष चर्चा नहीं।*
*———————- गणेश कछवाहा —————-
छत्तीसगढ़ बजट 2025 प्रस्तुत करते हुए माननीय वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि ,कुशल राजनेता,और प्रशासनिक दक्षता (आइएएस) का बखूबी परिचय दिया ।हिंदी में हस्त लिखित 100 पृष्ठ का अभिभाषण शायद स्वयं ने लिखा और यह छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ। वह भी टेक्नोलॉजी डिजिटल इंडिया युग में।छत्तीसगढ़ के साहित्यमनीषी पंडित मुकुटधर पांडेय जी कविता की पंक्ति, राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी जी व पद्मश्री सुरेंद्र दुबे की ओजस्वी कविता के अंश, नेल्शनमंडेला और एक युवासाथी के विचारों को रेखांकित करते पूरे आत्मविश्वास के साथ सदनपटल पर बजट को प्रस्तुत किया। वित्तीय बजट राज्य की आर्थिक,सामाजिक और राजनैतिक दृष्टि के साथ साथ अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा को प्रतिबिंबित करता है।इस वर्ष बजट को नई शब्दावली (GATI) गुडगवरनेंस,एक्सेलरेटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलोजी एवं इंडस्ट्रीयल ग्रोथ से विभूषित किया गया है ।
इस बजट में जहां कुछ नया करने की सोच और अच्छे प्रस्ताव कोशिश है।राजनैतिक विवशता थी या सियासत की विवशता वित्तमंत्री परंपरागत ढाँचे को तोड़ नहीं पाए हैं। जहां उद्योगों के प्रति पूर्ण समर्पित दिखायी पड़े तीनगुणा लगभग 119% बजट में वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया वहीं कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को 8% , स्कूल शिक्षा को 12% , महिला बाल विकास को 5%, जल संसाधन विकास और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के लिए मात्र 2,- 2% बजट आबँटन रखा गया है।इससे यह स्पष्ट है कि इस बजट में भी शिक्षा, कला,संस्कृति,कृषि,पर्यावरण प्रदूषण, छोटे कामगारों,असंगठित मज़दूरों और गरीबवर्गों के लिए लच्छेदार शब्दों से ज़्यादा कुछ नहीं है। उद्योगपतियों व पूँजीपतियों के पक्ष आत्म समर्पित नजर आया। जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय के आँकड़ो को भूखा , गरीब मज़दूर मेहनतकश , माध्यम और आम जनता क्या करेगी ? इससे सामाजिक आर्थिक विषमता बढ़ेगी। गरीबऔर अमीर के बीच खाई और अधिक बढ़ेगी । इस बजट में पूँजीगत व्यय में 12% वृद्धि लगभग ₹1,65,000/- करोड़ और राजकोषीय वित्तीय घाटा लगभग ₹22,600/- करोड़ 2.97% अनुमानित रखा गया है ।
छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है कृषि क्षेत्र को संरक्षित करने ,उसके उत्पाद मूल्यों कि न्यूनतम गारंटी,सिंचाई संसाधनो को बढ़ाने,नहरों और खाद्य बीज की उपलब्धता के बारे में ज़्यादा स्पष्ट नहीं है ।पूरे बजट में कृषि विकास एवं किसान कल्याण मद पर मात्र 8% प्रावधानरखा गया है।अंधाधुंध अद्योगिक विकास से कृषिभूमि और वन क्षेत्रों में लगातार कमी हो रही है जो काफ़ी चिंता का विषय है।इस पर बजट भी मौन है। वहीं पर्यावरण प्रदूषण से समूचा छत्तीसगढ़ का जनजीवन ख़तरे में है। प्रदूषण नियंत्रण पर कोई कार्ययोजना नहीं है। जलजंगल ज़मीन नदी तालाब जलाशयों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इस बजट में कोई विशेष स्थान नहीं दिया गया है।यह काफ़ी गंभीर चिंता जनक है।छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण हुए लगभग 25 वर्ष होगए । छत्तीसगढ़ राज्य की अपनी कोई जलनीति नहीं है।ओड़िसा और छत्तीसगढ़ के मध्य महानदी जल विवाद चल रहाहै, उद्योगों से क्षमता से अधिक दोहन कर रहे है,वहीं उद्योगों पर करोड़ों रुपए जलकर बकाया है । किसानो तथा आम जनता के सामने पानी का संकट खड़ा होजाताहै।ऐसे विषम संकट पूर्ण परिस्थितियों में सरकार की अपनी कोई जलनीति का न होना काफ़ी चिंता का विषय है। इस पर भी बजट पूर्णतः मौन है।
महिला बालविकास मद पर 5% बजट प्रावधान के तहत बहुत सी योजनाएँ रखी गई हैं। परंतु महिला बाल विकास के अंतर्गत कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के मानदेय बढ़ाने उनके सशक्ति करण हेतु कोई ध्याननहीं दिया गया । उसी तरह अनियमित एवं संविदा नियुक्ति के कर्मचारियों की ओर कोई ध्यान नहीं दियागया। शासकीय कर्मचारियों डीए मंहगाई भत्ते में वृद्धि की घोषणा की गई है। परंतु छोटे कामगारों,असंगठित मज़दूरों की दशा और दिशा के बारे में भी बजट में कोई जगह नहीं दी गई है।स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कहीं विस्तार तो कहीं अपग्रेड करने की स्वागतेय पहल तो की गई है किंतु स्वास्थ्य चिकित्सा और शिक्षा को बजारवाद से मुक्त कर सभी नागरिकों को समान सस्ती उत्तम व्यवस्था की कोई कोशिश दिखाई नहीं दी ।भ्रष्टाचार पर ACB की कार्यवाही का जिक्र तो किया गया पर भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु कोई ठोस पहल दिखायी नहीं पड़ी । सामाजिक कार्यकर्ताओं की दीर्घकालीन माँग है की भ्रष्टाचार मुक्त शासन हेतु ठोस पहल कीजाय गाँव से लेकर ब्लॉक,जिला, संभाग और राजधानी स्तर तक कार्यालयों में भ्रष्टाचार मुक्त शासन का बोर्ड अनिवार्यतया लगाया जाय और एक टालफ़्री नम्बर जनता को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। जिस पर लोग शिकायत दर्ज कर सके और उस पर समुचित कार्यवाही सुनिश्चित हो सके।आम मज़दूरों,मेहनतकशों,ग़रीबों और कमजोर वर्गों से यह बजट बहुत दूर है। इस वर्ष बजट का मुख्य उद्देश्य या लक्ष्य ही (GATI) गुडगवरनेंस,एक्सेलरेटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलोजी एवं इंडस्ट्रीयल ग्रोथ था।
किसी समाज, राज्य या राष्ट्र की पहचान उसकी कला ,संस्कृति व सभ्यता से होती है।इसका संरक्षण, संवर्धन और उन्नयन बहुत आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि संस्कृति को परिभाषित करते हुए धार्मिक आयोजनो को संस्कृति सबसे प्रमुख अंग बताने तथा धार्मिक आयोजनो में ज़्यादा राशि आबँटन को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश करते हुए “ हिंदु कोई धर्म नहीं एक जीवन शैली है “ को रेखांकित करने की बहुत विद्वता पूर्ण कोशिश की गई और पुरातत्व और संस्कृति के नाम पर धार्मिक आयोजनो, यात्रा तथा कुछ कला गैलरी ,संग्रहालय, पर्यटन आदि पर बजट राशि का आबंटन किया गया। परन्तु कला संगीत नाटक और साहित्य अकादमी पर कुछ नहीं कहा गया। राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक चक्रधर समारोह के प्रतिष्ठित मंच से रायगढ़ में संगीत महाविद्यालय की घोषणा के बावजूद कोई चर्चा नहीं की गई। यह सब वित्त मंत्री के विकास के विजन , कुछ नया करने की सोच , उच्च शिक्षा तथा प्रशासनिक कुशलता के बावजूद कही न कहीं व्यवस्था ,सत्ता , सियासत , और राजनैतिक महत्वकांक्षा या विवशता में उलझी नजर आती है।
गणेश कछवाहा
लेखक , चिंतक एवं समीक्षक
ट्रेड यूनियन कौंसिल
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा
रायगढ़ छत्तीसगढ़ ।
94255 72284
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